NEWS :-लापरवाह नेत्र सहायक/ सहायक नोडल अधिकारी बचते है, अपने कर्तव्य से करते है निजी नेत्र चिकित्सा केंद्र का संचालन नही मिल रहा पोड़ी वालो को नेत्र सहायक का लाभ,रहते है नदारत जिले में अंधत्व समिति के सहायक नोडल, न अंधत्व की रोकथाम कर पा रहे न ही पोंड़ी में हो रही आँखों की जाँच,महाशय के सहायक नोडल रहते फर्जी नेत्र जाँच की आयी बाढ़

NEWS :-लापरवाह नेत्र सहायक/ सहायक नोडल अधिकारी बचते है, अपने कर्तव्य से करते है निजी नेत्र चिकित्सा केंद्र का संचालन नही मिल रहा पोड़ी वालो को नेत्र सहायक का लाभ,रहते है नदारत 

जिले में अंधत्व समिति के सहायक नोडल, न अंधत्व की रोकथाम कर पा रहे न ही पोंड़ी में हो रही आँखों की जाँच,महाशय के सहायक नोडल रहते फर्जी नेत्र जाँच की आयी बाढ़ 
कवर्धा 
जिले में फर्जी एमबीबीएस डॉक्टर के द्वारा मोतिया बिना बिना ऑपरेशन के ठीक करने वाला मामला अभी शांत हुआ ही नहीं था और अब पोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ नेत्र सहायक पीके गुप्ता अपने कर्तव्य स्थल में  मुख्यालय में निवास ना करते हुए कवर्धा जिले में अपने निजी निवास में संचालित करते हैं नेत्र चिकित्सा केंद्र, अब सवाल ये है की आखिर जिले में फर्जी नेत्र केंद्र कों रोकना तों दूर, खुद भी नदारत रहते है, आखिर ये कौन सा काम कर रहे समझ से परे है.


गौरतलब है कि पीके गुप्ता नेत्र सहायक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र  पोड़ी मैं पदस्थापित है जिला प्रशासन ने उन्हें राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम में सहायक नोडल अधिकारी बनाया है उनका कार्य अपने कर्तव्य स्थल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पौड़ी में तीन दिवस नेत्र परीक्षण के लिए आए  मरीज को का नेत्र परीक्षण करना है एवं शासन के निर्देश अनुसार तीन दिवस ग्रामीण क्षेत्रों में मोतियाबिंद मरीजों को चिन्हाकित करने के लिए दौरा करना है 
परंतु  वे वरिष्ठता एवं कर्मचारी नेता होने का फायदा उठाकर  वह पोड़ी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में वह अपने कार्यक्षेत्र में कभी कभार दिखाई देते हैं तथा वे अपने मुख्यालय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोड़ी में ना निवास कर अपने कर्तव्य मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर कवर्धा जिले में अपने निजी निवास में नेत्र जांच केंद्र संचालित करते हैं जबकि जिला कलेक्टर महोदय एवं जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी लगातार स्वास्थ्य अमले को मुख्यालय में निवास करने की हिदायत समय-समय पर देते हैं 
ऐसे में पोड़ी क्षेत्र के क्षेत्र वासियों को नेत्र परीक्षण की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं, सहायक नोडल के आड़ में दौरे पर हु करके अक्सर इनके द्वारा बोला जाता, अगर ये नेत्र सहायक नोडल के काम कों भी जिले में ठीक से देखते तों फर्जी नेत्र कैम्प कों भी रोक लगाने में कामयाब हो सकते थे,इन मामलों से स्पष्ट होता है कि  पीके गुप्ता  की पहुंच एवं व्यक्तिगत संबंध जिले के आला अधिकारियों से हैं तभी उन्हें मुख्यालय में निवास कर अपने निजी निवास कवर्धा में नेत्र जांच केंद्र संचालित करने कि जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने छूट दे रखी है, जिले में सभी नेत्र सहायक सुचारु रूप से सेवा दें रहे है, सिवाय पीके गुप्ता के, ये कई वर्षो से पोंडी में पदस्थ है मगर सेवा नहीं दें पर रहे है. दौरे के आड़ में अपने निजी काम में लगे हुये है, आमजन कों आँखों की जाँच की सुविधा नहीं मिल पर रही है,

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