NEWS:-स्वंत्रता दिवस के मौके पर कवि जगदीश सांखला ने लिखी भारत देश हमारा मनमोहक कविता
कवर्धा
भारत देश हमारा है, हमें प्राणों से भी प्यारा है,कोई कहे यह मेरा है, मुझे नही गंवारा है जिसने भी हमें आंख दिखाई,उसे एक बात सिखाई हम शांति के दूत है यदि समझ सको तो, यह बात बहुत आसान है वरना गन मशीन लिए, जवानों के हाथ बेचैन है हम शस्त्र में नही ,शास्त्र में विश्वाश करते है, वसुधेय कुटम्बकम तो,हमारे रोम रोम से निकलता है,हमारी कथनी और करनी में ,कोई भेद नही फिर चाहे प्राण भी जाये,पीछे हम हटते नही अनेकता में एकता,तो भारत की विशेषता है आपसी समझ और विश्वास,यही तो भारत की दृढ़ता है एक भारत और श्रेष्ठ भारत, युवाओं का आव्हान है, मजबूत और संगठित भारत, हम सबका एक प्राण है हाथ बढ़ायोगे दोस्ती का, तो सीने से लगा लेंगे गलत हिमाकत की तो, नक्से मिटा देंगे,।
कवि जगदीश सांखला ने देशभक्ति कविता के रूप में मन को मोहने वाला कविता लिखा है।
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