रेंगाखार में पदस्थ एक शराबी लापरवाह डॉक्टर कार्तिक राम रात्रे,मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी कवर्धा का आदेश,का कर रहे अवहेलना,इस डॉक्टर के लिए आदेश रद्दी का कागज
रेंगाखार में ड्यूटी के दौरान शराब पीकर इलाज करने का आरोप, जाँच में भी पाए गए दोषी. रेंगाखार से दामापुर किया ट्रांसफर, मगर 80 दिनों से रात्रे आदेश को दिखा रहे ठेंगा, स्वास्थ्य विभाग कवर्धा की हो रही किरकिरी
कवर्धा:- सीएमएचओ द्वारा स्थान्तरण के आदेश के बाद भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेंगाखार में पदस्थ चिकित्सा अधिकारी डॉ कार्तिक राम सीएमएचओ के हठधर्मिता का परिणाम, ऐसा लगता है मानो सीएमएचओ द्वारा स्थानांतरण का आदेश डॉ. कार्तिक के लिए महज रद्दी कागज है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी संविदा चिकित्सा अधिकारी के आगे नतमस्तक हो चुके है,स्वयं स्थानतरण कर स्थानांतरित स्थान पर 60 दिवस तक नहीं पहुंचा सके मुख्य चिकित्सा अधिकारी आदेश का पालन स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी नहीं करवा पा रहे हैं अपने ही आदेश का पालन
ज्ञात हो कि पूर्व में भी खबर प्रकाशित हुई थी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेंगाखार जंगल में पदस्थ संविदा चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर कार्तिक राम रात्रे जो की पोस्टमार्टम करने एवं ड्यूटी के दौरान शराब पीने का मामला प्रकाश में आया था,जिसकी शिकायत पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला कवर्धा में जांच के आदेश एवं जांच समिति में आरोप सही पाए जाने के उपरांत उक्त चिकित्सा अधिकारी डॉ कार्तिक राम रात्रे का स्थानात्रण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जंगल रेंगाखार से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दामापुर विकासखंड पंडरिया में किया गया
खंड चिकित्सा अधिकारी विकास खंड बोडला डॉ.विवेक चंद्रवंशी के अनुसार उक्त डॉ.कार्तिक राम रात्रे को कार्यमुक्त का आदेश दे कर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र दामापूर के लिए कार्यमुक्त कर एक आदेश की कापी मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला कवर्धा को प्रेषित की गई है
परंतु 75 दिनों के बाद भी उक्त डॉ कार्तिक राम रात्रे अपने नवीन पदस्थपना स्थान दामापुर का प्रभार नहीं लिए है और बिना किसी अनुमति के अभी भी वे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जंगल रेगाखर में जमे हुए है
सीएमएचओ कवर्धा द्वारा तीन तीन नोटिस जारी करने के बाद भी अपने नवीन कार्य स्थल पर न जाना व उच्च अधिकारियों के आदेश पालन न करना यह गंभीर विषय है जिले के कलेक्टर ने भी ख़बर प्रकशित होने के बाद भी किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की या मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला कवर्धा ने जिले के कलेक्टर को इस प्रकरण के बारे में अवगत नही कराया क्या? और अगर शराबी चिकित्सा अधिकारी की लापरवाही से किसी मरीज की जान चली जाती है, तो क्या इसकी जवाबदारी जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी स्वयं लेंगे या जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने इलाज एवं पोस्टमार्टम के नाम से पैसा और शराब का आनंद लेने के लिए उन्हें खुली छूट दे दी है वनांचल की स्वास्थ सेवाएं शराबी चिकित्सा अधिकारी के भरोसे में रहेंगी
और पोस्टमार्टम एवं शराब का सेवन करने वाले चिकित्सा अधिकारी डॉ कार्तिक राम रात्रे के कार्यों से ऐसा लगता है की उन्हे अपने उच्च अधिकारियों के आदेश का पालन न करने की ठान ली है या उच्च अधिकारियो को अच्छी खासी रकम तोहफ़े के रूप में दी गई है , इस मामले मे जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला कवर्धा के कार्य पर भी सवाल खड़े हो रहे है,
संविदा सेवा समाप्ति नहीं की गई बल्कि संविदा नियुक्ति शर्त के अनुसार नियुक्ति के पूर्व नियुक्ति के पश्चात किसी भी प्रकार के कदाचरण करने अथवा किसी भी आपराधिक या वित्तीय अनियमित संबंधित कृत से लिप्त होने की अवस्था में नियुक्ति करता अधिकारी द्वारा नियमन अनुसार सेवा समाप्ति की कार्यवाही की जा सकती है परंतु मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने उनकी सेवा समाप्ति ना करते हुए उन्हें नियम विरुद्ध एक मौका देते हुए उनका स्थानांतरण दामापुर किया गया परंतु जगह की डॉ.रात्रे अपनी कमाई वाली जगह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रेंगाखार को छोड़ना नहीं चाहते इसलिए वह मुख्य चिकित्सा अधिकारी से मिलकर पुनः वापसी हेतु सेटिंग में लगे हुए हैं इसी कारण से वह 70 से 75 दिनों तक अपने स्थानांतरित स्थान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दमापुर में अपनी उपस्थिति नहीं दिए हैं 70 से 75 दिनों तक स्थानांतरित स्थान पर अपनी उपस्थिति ना देने वाले चिकित्सा अधिकारी के विरुद्ध मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राज उनके ऊपर किसी भी प्रकार से कार्यवाही नहीं कर रहे हैं इससे प्रतीत होता है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राज के आदेशों का पालन अधिकारी कर्मचारी नहीं करते हैं.
सीएमएचओ अपनी मनमानी के चलते अब तक कार्यवाही नहीं किये हैं।सीएमएचओ को स्वास्थ्य संचालक के आदेश का पालन करने में कोई रुचि नहीं है। जिले में सीएमएचओ की उटपटांग और विवादित कार्यशैली पर सवालिया निशान हैं।
जब इस बारे में मुख्य चिकित्सा अधिकारी कवर्धा से पूछा गया तो, उनका कहना था की उनको तीन नोटिस दिया जा चूका है, उनका एक माह का पेमेंट भी रोका गया है, अब आगे उनके खिलाफ ऊपर स्वास्थ्य विभाग में अवगत कराया जायेगा.
वही इस विषय में जब डॉक्टर कार्तिक रात्रे से पूछा गया की, क्यों रेंगाखार अस्पताल से दामापुर अस्पताल नहीं जाना चाहते, तो उनका कहना था, की मुझे ये ये जगह ठीक लगता है मेरा, मै वहाँ नहीं जाना चाहता,
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