NEWS :-कवर्धा जिले में डायरिया महामारी का भयंकर प्रकोप मुख्य चिकित्सा अधिकारी नहीं कर पा रहे हैं नियंत्रित मौजूदा विशेषज्ञ की नहीं ली जा रही है सेवाएं,
अनुभवहीन पंडरिया खंड चिकित्सा अधिकारी अनामिका पटेल,से नहीं संभल पा रहा स्वास्थ्य सेवाएं,पंडरिया में अनुभवी स्वास्थ्य अधिकारी कि जरूरत
कवर्धा. पंडरिया
वर्षाकाल चालू होते ही कवर्धा जिले में डायरिया का प्रकोप महामारी के रूप में लेता जा रहा है,
विगत माह कवर्धा जिले के सहसपुर लोहारा विकासखंड के ग्राम कोयलारी में डायरिया का कहर हुआ था उक्त ग्राम में 50 से ज्यादा मरीज डायरिया के चपेट में आए थे एवं कवर्धा जिले के सोनवानी गांव में डायरिया से 2 ग्रामीणों की मौत हुई एवं गांव ग्राम सांडा में उल्टी दस्त के 18 मरीज मिले थे, वही ग्राम पोंड़ी में भी डायरिया के कई मरीज मिले थे, अब तक डायरिया के मरीज जिले के दर्जनों गावों से अधिक जगहों पर मिले, मगर अब तक स्वास्थ्य विभाग इसे काबू कर पाने में नाकाम साबित हो रही है,
मामला कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम देवसरा का है. यहां गुरुवार को दो व्यक्ति की उल्टी-दस्त से मौत हो गई. उसमे से एक मरीज तो पंडरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से भागकर,घर चला गया जहाँ उसकी मौत हो गयी, इसमें अस्पताल प्रबंधक कि नाकामी ही कही जाये कि मरीज बिना बताये घर चला गया, और अस्पताल के स्टॉप क़ो जानकारी नहीं हुई,वहीं, 5 से अधिक लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं. सभी का इलाज जारी है. अब तक जिले में डायरिया से मौत की संख्या एक दर्जन के पार हो चुकी है. बावजूद इसके जिला प्रशासन इसे डायरिया होना बता रही है.गुरुवार को दो की मौत:जानकारी के मुताबिक कबीरधाम जिले के वनांचल ग्राम देवसरा में दो दिनों में लगभग 10 लोगों को उल्टी-दस्त की शिकायत थी. गांव के सार्वजनिक मंच में स्वस्थ्य शिविर लगाकर लोगों का इलाज किया जा रहा था. ग्रामीण गांव में इलाज हो जाने के बाद अपने-अपने घर चले जाते थे, लेकिन गुरुवार को दो मरीजों की हालत ज्यादा बिगड़ गई. जिससे उन्हें पंडरिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया था. लेकिन इलाज के दौरान दोनों व्यक्ति ने दम तोड़ दिया. बिमारी से मौत के खबर से पूरे गांव में हड़कंप मचा हुआ है. लोग दहशत में हैं. इधर, पीएचई विभाग द्वारा गांव के पेयजल वाले स्रोत कुआं सहित अन्य स्रोतों की जांच की जा रही है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग मामले में कुछ भी कहने से बच रहा है.
जिले में हो रही लगातार डायरिया से मौत एवं डायरिया फैलने को रोकने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं उनका जिला स्वास्थ्य अमला नाकाम हो रहा है जिसका खामियाजा जिले वासियों को भुगतना पड़ रहा है
जिले में है विशेषज्ञ महामारी नियंत्रक नहीं दी जा रही हैं उनकी सेवाएं
कवर्धा जिले में लगातार बढ़ रही महामारियों को नियंत्रित करने के लिए विषय विशेषज्ञ के रूप में उच्च शिक्षित एवं उच्च शिक्षित 3 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएट एमडी कम्युनिटी डॉ. अनामिका पटेल को शासन ने कुछ वर्ष पूर्ण शिक्षित करने के लिए भेजा था परंतु उनकी सेवाएं जिले में महामारी नियंत्रण करने हेतु नहीं दी जा रही है एवं पंडरिया क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा चरमरा गयी है, वर्तमान स्वास्थ्य अधिकारी नाकाम साबित हो रहे है, कई शिकायते उनके खिलाफ है, मगर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने अपने खास महिला चिकित्सा अधिकारी को खंड चिकित्सा अधिकारी का प्रभार सौंप दिया है, एक ओर पंडरिया की कद्दावर सक्रिय विधायक जहां वे अपने संस्था के माध्यम से स्वास्थ सेवाएं सुधारने के लिए हेल्थ कैंप एवं अपनी निजी एंबुलेंस की सेवा वर्षो से दे रही है ताकि आमजन स्वस्थ रहे एवं आवश्यकता पड़ने पर तुरंत एंबुलेस से नजदीकी स्वस्थ केंद्र में इलाज करवाया जा सके परंतु अनुभव विहीन खंड चिकित्सा अधिकारी अनामिका पटेल कार्यों को एवं जिमेदारी से कार्य नहीं कर रही है डायरिया का इलाज कर रहे पंडरिया ग्राम देवसरा के मरीज धर्म सिंह बैगा इलाज जारी होने के बाद भी भाग गया एवं देर रात उनकी मौत हो गई, इलाज के दौरान मरीज का भागना खंड चिकित्सा अधिकारी की नाकामी को प्रदर्शित करता है उक्त उप स्वस्थ केंद्र देवसरा में लंबे समय से महिला एवं पुरुष स्वास्थ कार्यकर्ता का पद रिक्त है रिफरल सेंटर बन गया है पंडरिया अस्पताल, आखिर
लाखों करोड़ों की बिल्डिंग बनने के बाद भी आम जनों को पंडरिया स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है सिर्फ यहां सर्दी खांसी बुखार का इलाज किया जा रहा है एवं शाम होते ही अपनी बाला टालने के लिए मरीज को जिला चिकित्सालय रिफर किया जाता है
अपनी अवशिष्ट कार्य शैली के कारण खंड चिकित्सा अधिकारी पंडरिया अपने क्षेत्र में ही डायरिया का प्रकोप नहीं रोक पा रही है न तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पंडरिया संभाल पा रही हैं आए दिन उनके खिलाफ बहुत सी शिकायतें उजागर हुई है यहां तक की शिकायत प्राप्त हुई है की रात्रि कालीन आपातकालीन ड्यूटी में चिकित्सा अधिकारी घरों में रहते हैं और ग्रामीण चिकित्सा साह्यक रात्रि ड्यूटी करते हैं मैदानी क्षेत्र के कर्मचारी मुख्यालय में नहीं रहते खंड चिकित्सा अधिकारी पंडरिया का किसी भी प्रकार से ना तो अस्पताल और ना तो ग्रामीण एवं मैदानी क्षेत्र के कर्मचारियों पर नियंत्रण नहीं है
एमडी कम्युनिटी मेडिसिन प्रशिक्षित चिकित्सा के ग्रामीण स्वास्थ्य एवं महामारी एवं अन्य गंभीर महामारी संबंधित बीमारियों के नियंत्रण का विशेषज्ञ होता है इन्हें महामारी से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षित किया जाता है ऐसे विशेषज्ञ की सेवाएं खंड चिकित्सा अधिकारी के पद पर ना लेते हुए जिले में महामारी नियंत्रक विशेषज्ञ के रूप में ले जानी अति आवश्यक है अन्यथा सैकड़ो लोग महामारी से मौत हो सकती है.
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