कवर्धा जिले में हो रही है, लगातार सड़क दुर्घटनाएं राजमार्गो में अब जिले में ट्रामा सेन्टर एवं हाईटेक ट्रामा एंबुलेंस की सख्त जरूरत
19 लोगों की मौतों से उठ रहे गंभीर सवाल, छोटे से मालवाहक पर 36 सवार, परिवहन व यातायात विभाग की कार्य प्रणाली पर उठ रहे सवाल
कवर्धा
दो दिन में हुई लगातार सड़क दुर्घटना से जिले में शोक की लहर है, कवर्धा जिले में हो रही सड़क हादसे नें कई सवाल खड़े किये, समूचे देश कों झकझोर के रख दिया है, एक साथ 19 लोगों की अंतिम संस्कार,पूरा गाँव के साथ साथ जिले वासियों नें दुख प्रकट किया, आपको बता दें की रविवार रात बिलासपुर मार्ग जहां सड़क दुर्घटना में एक पुलिस आरक्षक के आकस्मिक मौत एवं एक सहायक उपनिरीक्षक के घायल होने की खबर के पश्चात्, पंडरिया ब्लाक के अंतिम छोर पर वनांचल ग्राम बाहपानी में तेंदू पत्ता तोड़ कर लौट रहे 19 लोगो की आकस्मिक मौत हो गई
वैसे देखा जाए तो कवर्धा जिले में सड़क दुर्घटना लगातार बढ़ती जा रही है, परंतु पर्याप्त प्राथमिक चिकित्सा न मिलने के कारण एवं दूरी अधिक होने के कारण कुछ मौत तो अस्पताल पहुंचने से पहले ही हो जाती है,
जिले के प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की भौगोलिक स्थिति को देखा जाए तो कुछ स्थानों पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मिनी ट्रामा सेंटर जो 24 घंटे आपातकाल की प्राथमिक चिकित्सा उपलब्ध करने की अति आवश्यकता होती है
अगर बात की जाए तो जिले के दशरंगपुर से कवर्धा के बीच की दूरी लगभग 25 से 30 किलोमीटर है एवं राष्ट्रीय राजमार्ग होने के कारण आए दिन सड़क दुर्घटनाएं होती रहती हैं आपात स्थिति में डायल 112 एवं एंबुलेस नजदीकी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पिपरिया ना ले जाते हुए तत्काल जिला चिकित्सालय दुर्घटनाग्रस्त मरीजों को चिकित्सा हेतु भर्ती कराया जाता है परंतु इस बीच किसी भी प्रकार की प्राथमिक चिकित्सा न मिलने के कारण कई मरीज बीच रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं
एवं स्थानीय बिलासपुर मार्ग में भोरमदेव शक्कर कारखाना एवं बोड़ला के बीच दुर्घटना ट्रस्ट मरीजों को आनंद-फानन में जिला चिकित्सालय पहुंचाया जाता है एवं नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पोड़ी मैं आपातकालीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती है तथा सुदूर वनांचल जबलपुर मार्ग में चिल्फी घाटी मैं आए दिन हादसे हो रहे है, जहाँ से जिला अस्पताल 50 किलोमीटर से भी अधिक दुरी होने के कारण एम्बुलेंस व त्वरित चिकित्सा न मिलने से कई लोगों की जान नहीं बच पाती है, कुछ हद तक ट्रामा सेंटर व ट्रामा एम्बुलेंस होने से हादसों से होने वाले मृत्यु में कमी आ सकती है,
सड़क सुरक्षा सप्ताह का नहीं दिखता प्रभावी असर
वैसे तो जिले में सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन किया जाता है, मगर इसका जानकारी सभी लोगों तक नहीं पहुँच पाती, जिनको मिलती है वो भी लापरवाही करते है, यातायात विभाग कों चाहिए की सख्त कार्यवाही करें, जिससे लोगों में खौफ के साथ, जागरूकता आये,विभिन्न आयोजन कर जागरूक करते रहे.
परिवहन विभाग माल वाहकों में यात्री बैठाने पर करें सख्त कार्यवाही
अक्सर देखा जाता है की जिले भर में जरूरत से ज्यादा छोटे खुले मालवाहकों में ट्रेक्टरों में 50 से 60 तक लोगों कों बिठाकर लबा सफऱ तक लें जाया जाता है, जिससे कही न कही हादसों कों निमंत्रण दें रहे है, परिवहन,विभाग सिर्फ खानापूर्ति न करें, बल्कि जिले में लगातार कार्यवाही जारी रखे, जिससे हादसों से बचा जा सके.
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