NEWS :-छत्तीसगढ़ प्रदेश में चश्मों की दुकानों पर बिना डॉक्टर के जांच,आंखों से हो रहा खिलवाड़ कवर्धा जिले में अवैध चश्मा जाँच की दुकानों की भरमार

NEWS :-छत्तीसगढ़ प्रदेश में चश्मों की दुकानों पर बिना डॉक्टर के जांच,आंखों से हो रहा खिलवाड़ 

कवर्धा जिले में अवैध चश्मा जाँच की दुकानों की भरमार 
रायपुर- कवर्धा 
प्रदेश में अधिकतर चश्मे की दुकानों पर अनट्रेंड स्टाफ बिना किसी डिग्री,  के आंखों की जांचकर लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहा है। इनके पास अनुभव तक नहीं है पर इसके बाद भी ये आंखें चेक कर न केवल लोगों को नंबर दे रहे हैं बल्कि चश्मा भी बना रहे हैं। दूसरी तरफ स्वास्थ्य विभाग इस मुद्दे पर आंखें बंद करे बैठा है। प्रदेश में कई चश्मा बनाने वालों की दुकानें हैं ।  । बाकी दुकानों पर आंखें चेक करने  और चश्मे का नंबर देने का काम अत्याधुनिक मशीनों के जरिए अनट्रेंड स्टाफ कर रहा है। ऐसे में अगर किसी की आंखों के साथ कोई खिलवाड़ होता हो तो हो, इसकी परवाह किसी को नहीं है। खुद नेत्र रोग विशेषज्ञों की राय में बिना योग्य नेत्र विशेषज्ञ एवं ऑप्टोमेट्रिस्ट के नेत्र परीक्षण के चश्मे का नंबर देना खतरे से खाली नहीं है। सामान्य तौर पर चश्मे की दुकान चलाने वालों को केवल चश्मा बनाने का अधिकार है। वे नेत्र रोग विशेषज्ञ ऑप्टोमेट्रिस्ट  द्वारा बताए गए  पर्ची  से नंबर का चश्मा बनाकर दे सकते हैं।
नियम: बिना डॉक्टर के नहीं दे सकते नंबर
चश्मे का नंबर देने के लिए चार वर्ष का ऑप्टोमेट्रिस्ट डिग्री कोर्स जरूरी है। इसके बाद भी क्वालीफाई ऑप्टोमेट्रिस्ट  नेत्र परीक्षण कर चश्मा नंबर देता है अधिकांश चश्मा दुकानों पर ऑप्टोमेट्रिस्ट  स्टाफ नहीं है।

नर्सिंग होम एक्ट में नहीं है प्रावधान

चश्मे की दुकान का स्वास्थ्य विभाग में रजिस्ट्रेशन का कोई प्रावधान नहीं है। इस संबंध में कोई गाइड लाइन भी नहीं है। इसी का फायदा ये दुकानदार उठाते हैं। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी लापरवाही बरतते हैं । लिहाजा आज तक उन्होंने ऐसी दुकानों पर कोई कार्रवाई नहीं की है।

दवा तक लिख देते हैं दुकानदार
कई दुकानदार तो दवा तक दे रहे हैं। कई बार मोतियाबिंद, शुगर के कारण आंख के पर्दे में खराबी आने या काला पानी होने पर भी नजर कमजोर हो जाती है। एसे अनट्रेंड दुकानदार सिर्फ चश्मे का नंबर निकालकर दे देते हैं। 

कुछ चश्मा दुकानों पर अत्याधुनिक मशीनें देखने मिलीं जिनसे मरीजों की आंखों की जांच की जा रही है। जबकि चश्मे की दुकान वाले केवल डॉक्टर  और ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा दिए गए नंबर से चश्मा बना सकते हैं। चश्मा दुकान संचालक आंखों की जांच नहीं कर सकते। 

चश्मे के गलत नंबर से हो सकती हैं कई परेशानी

चश्मे के गलत नंबर से मरीज को कई तरह की परेशानी हो सकती है। इससे सिर दर्द होता रहता है। कभी-कभी तो आंखों में भेंगा पन तक आ सकता है। इसलिए बिना डॉक्टर  व ऑप्टोमेट्रिस्ट की सलाह  से चश्मा पहनना चहिए।  चश्मा दुकान से  चश्मे का नंबर नहीं निकलवाना चाहिए और न ही ऐसे चश्मे का उपयोग करना चाहिए।
क्या कहते हैं 
हमारे एक्सपर्ट जाने -
डॉ सुभाष मिश्रा  पूर्व सेवा निवृत संयुक्त संचालक एवं राज्य कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय अंधत्व नियंत्रण कार्यक्रम
चश्मा दुकान संचालकों के द्वारा अगर बिना किसी शैक्षणिक योग्यता की आंखों की जांच की जा रही है तो यह सारा सा गलत है एवं नियम विरोध है इसके लिए कठोर से कठोर प्रावधान बनाना आवश्यक है नेत्र परीक्षण करने का अधिकार नेत्र  विशेषज्ञ एवं ऑप्टोमेट्रिस्ट को है नेत्र विशेषज्ञ किसी भी मान्यता प्राप्त चिकित्सा महाविद्यालय से एमबीबीएस एमएस डीएनबी नेत्र सर्जरी नेत्र सर्जरी करने से संबंधित सभी प्रकार  ऑपरेशन करने के लिए विशेष प्रशिक्षित होते हैं नेत्र विशेषज्ञ एवं ऑप्टोमेट्रिस्ट द्वारा लिखी गई पर्ची के अनुसार ही चश्मा दुकान संचालक को चश्मा बनाना चाहिए एवं इसका रिकॉर्ड रखना अति आवश्यक है 
एन खान पूर्व छात्र बैचलर ऑफ़ ऑप्टोमेट्री आईटीएम विश्वविद्यालय नया रायपुर   चश्मा दुकान संचालकों के द्वारा आंख जांच करना आम जनों की आंखों से खिलवाड़ है आंखों की जांच एक कुशल ऑप्टोमेट्रिस्ट के द्वारा ही कराई जाना चाहिए ऑप्टोमेट्रिस्ट 4 वर्षीय पाठ्यक्रम होता है जो कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा अनुमोदित एवं अनुमति प्राप्त विश्वविद्यालय से 3 वर्ष की पढ़ाई एवं 1 वर्ष की इंटर्नशिप किया जाता है एवं पैरामेडिकल पंजीयन अनिवार्य होता है ऑप्टोमेट्रिस्ट नेत्र संबंधित सभी प्रकार के परीक्षण एवं नेत्र रोगों को प्राथमिक तौर पर पहचान चश्मा से संबंधित लेंस कॉन्टैक्ट लेंस के लिए विशेष प्रशिक्षित होते हैं एवं छत्तीसगढ़ राज्य पत्र 59 2019 दिसंबर के अनुसार ऑप्टोमेट्रिस्ट को स्वतंत्र निजी प्रेक्टिस करने का अधिकार प्रदान किया गया है छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर नेत्र सहायक के द्वारा निजी चश्मा दुकान में नेत्र परीक्षण करने का मामला सामनेyy आया है इसके लिए संचालक स्वास्थ्य सेवाओं से जानकारी मांगी गई है नेत्र सहायक शासकीय संस्थाओं में चिकित्सा अधिकारी एवं नेत्र विशेषज्ञ अधीन सहायक के रूप में कार्य करने का लिखित आदेश संचालक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के द्वारा दिए पत्र में उल्लेखित है शासन प्रशासन को यह ध्यान देना चाहिए बिना डिग्री धारी चश्मा दुकान संचालक एवं अवैध रूप से निजी प्रैक्टिस कर रहे नेत्र सहायक पर कार्यवाही करना चाहिए

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