पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2025 का किया समर्थन, किसानों को खाद वितरण एवं उपलब्धता, ट्रैक्टर खरीदी हेतु अनुदान राशि और छत्तीसगढ़ संवाद एवं जनसंपर्क द्वारा प्रचार-प्रसार के संबंध में पूछा प्रश्न
छत्तीसगढ़ विधानसभा के चौथे दिन पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने किसानों के हित और उन्हें खेती करने हेतु शासन द्वारा उपलब्ध सुविधा और खरीफ एवं रबी सीजन में कबीरधाम जिले के किसानों को खाद वितरण एवं उपलब्धता के संबंध में तथा किसानों को ट्रैक्टर खरीदी हेतु अनुदान राशि के संबंध में प्रश्न पूछा। इसके साथ ही उन्होंने छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्न विभागों एवं मंडलों द्वारा प्रचार प्रसार की प्रक्रिया के संबंध में भी प्रश्न पूछा। इस दौरान आज सदन में प्रस्तुत भू-राजस्व संहिता (संशोधन) अधिनियम 2025 के पक्ष में समर्थन भी जताया और सुझाव भी दिए।
भावना बोहरा ने कहा कि भू-राजस्व संहिता संशोधन विधेयक 2025 के पारित होने से छत्तीसगढ़ में भूमि प्रबंधन और प्रशासन में सुधार होगा। यह विधेयक न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुगम बनाएगा, बल्कि अवैध गतिविधियों पर रोक लगाकर पारदर्शिता को भी बढ़ाएगा। यह संशोधन प्रदेश की भूमि प्रबंधन प्रणाली को और पारदर्शी व जनहितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। नक्शों के बटांकन में पहले जटिल प्रक्रियाओं के कारण लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। नए प्रावधानों के लागू होने से यह प्रक्रिया अब तेज और सरल होगी। साथ ही, मृत्यु के बाद संपत्ति के नामांतरण में देरी और कागजी कार्रवाइयों की समस्याओं को भी कम किया जाएगा। इससे विशेष रूप से ग्रामीण और छोटे भूमि मालिकों को लाभ होगा। विधेयक में अवैध प्लाटिंग को रोकने के लिए सख्त प्रावधान शामिल किए गए हैं। अवैध रुप से जमीन को छोटे-छोटे टुकड़ों में बांटकर बेचने की प्रवृत्ति पर अब प्रभावी नियंत्रण होगा। इससे न केवल सरकारी जमीनों का दुरुपयोग रुकेगा, बल्कि खरीददारों को भी धोखाधड़ी से बचाया जा सकेगा। सर्वे-रिसर्वे के तहत डिजिटल मेप (जिया-रिफरेन्स्ड मैप) तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। वर्तमान में संहिता में जिया-रिफरेन्स्ड मैप का स्पष्ट प्रावधान नहीं होने के कारण, मैप तैयार करने की कार्यवाही के दौरान भविष्य में विधिक विवाद की स्थिति निर्मित हो सकती है। इस प्रावधान में यह कमी दूर होने से प्रदेशवासियों को लाभ मिलेगा।
इस संशोधन के संबंध में भावना बोहरा द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों (ST क्षेत्र) में अगर कोई गैर-जनजातीय व्यक्ति अपनी जमीन का उपयोग व्यापार, उद्योग या आवास के लिए बदलना चाहता है, तो उसे कलेक्टर की अनुमति लेनी होती है। यह प्रक्रिया काफी समय लेने वाली होती है, जिससे विकास कार्यों में देरी होती है। सुझाव है कि अगर जमीन का उपयोग क्षेत्र के नक्शे में पहले से तय है, तो कलेक्टर की अनुमति की बाध्यता खत्म की जाए और प्रक्रिया को ऑनलाइन व सरल बनाया जाए, ताकि निवेश और विकास को बढ़ावा मिल सके। उसी तरह जब कोई व्यक्ति अपनी जमीन का कुछ हिस्सा बेचता है, तो रजिस्ट्री के बाद भी नामांतरण और बटवारे (बटांकन) के लिए पटवारी और तहसील के चक्कर काटने पड़ते हैं। अब जब रजिस्ट्री की प्रक्रिया डिजिटल हो चुकी है, तो यह जरूरी है कि रजिस्ट्री के साथ ही जमीन का नामांतरण और बटांकन भी अपने आप हो जाए। इससे आम लोगों को आसानी होगी, समय बचेगा और प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी।
पंडरिया विधायक भावना बोहरा ने प्रश्न पूछा कि विभाग द्वारा खरीफ एवं रबी सीजन में कबीरधाम जिले के कृषकों की आवश्यकता के अनुरुप रासायनिक एवं जैविक खाद के वितरण हेतु कितना लक्ष्य निर्धारित किया गया है? निर्धारित लक्ष्य की आपूर्ति हेतु कुल कितना खाद भंडारित कर रखा गया है एवं इनमें से अब तक कितने खाद का वितरण किया जा चुका है? 1 अप्रैल, 2024 से जून, 2025 तक खाद के प्रकारवार निर्धारित लक्ष्य, उपलब्धता एवं वितरण सहित जानकारी देवें? कबीरधाम जिले अंतर्गत खाद की औसतन मांग एवं उपलब्धता की मात्रा कितनी है? वर्तमान में मांग के अनुरूप कबीरधाम जिले के कितने कृषकों को खाद वितरण किया जा चुका है एवं कितने कृषकों को खाद आपूर्ति किया जाना शेष है? शेष कृषकों हेतु भी खाद उपलब्ध कराया जाना कब तक सुनिश्चित किया जावेगा? कबीरधाम जिले अंतर्गत खाद भंडारण हेतु क्या-क्या व्यवस्था की गई है? कबीरधाम जिले अंतर्गत किन-किन समितियों, निजी वितरकों एवं मार्कफेडों के माध्यम से खाद वितरण सुनिश्चित किया जाता है?
इसके प्रतिउत्तर में कृषि मंत्री श्री रामविचार नेताम जी ने लिखित उत्तर देते हुए बताया कि जिला कबीरधाम हेतु दिनांक 01 अप्रैल 2024 से जून 2025 तक खरीफ एवं रबी मौसम हेतु उर्वरक का निर्धारित लक्ष्य 152230 मीट्रिक टन है, वर्तमान में 176497 मीट्रिक टन का भण्डारण किया जा चुका है और कुल 134025 मीट्रिक टन खाद का वितरण किसानों को किया जा चुका है। रासायनिक उर्वरक की भांति मार्कफेड के माध्यम से भण्डार/वितरण हेतु जैविक खाद का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया जाता। जिला कबीरधाम हेतु खरीफ 2025 के लिये 72030 मे. टन रासायनिक उर्वरकों का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसके विरूद्ध दिनांक 30.06.2025 तक 63591 मे. टन उर्वरक का भण्डारण हो चुका है। जिले के 85024 किसानों द्वारा अपनी आवश्यकतानुसार उर्वरक का उठाव किया जा चुका हैं। जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्या. से प्राप्त जानकारी अनुसार गतवर्ष की तुलना में 21371 कृषकों द्वारा उर्वरक का उठाव किया जाना शेष हैं। उर्वरक का भण्डारण एवं उठाव एक सतत् प्रक्रिया हैं। अतः समय-सीमा में उपलब्ध कराया जाना संभव नहीं है। सहकारी क्षेत्र हेतु प्राप्त रसायनिक उर्वरकों का भण्डारण मार्कफेड के वितरण अधिकारी द्वारा जिला कबीरधाम के कवर्धा, सहसपुर लोहारा एवं पंडरिया में स्थित मार्कफेड के 03 डबल लॉक केन्द्र तथा जिले की 90 सहकारी समितियों में कराया जाता है। इसके अतिरिक्त निजी क्षेत्र को प्रदाय रासायनिक उर्वरकों का भण्डारण जिले के 135 निजी उर्वरक विक्रय केन्द्रों द्वारा किया जाता है।
भावना बोहरा ने पंडरिया विधानसभा अंतर्गत किसानों को ट्रैक्टर खरीदी हेतु मिलने वाले अनुदान के संबंध में पूछा कि पंडरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत 1 जनवरी, 2024 से जून, 2025 तक कितने कृषकों का ट्रैक्टर अनुदान हेतु आवेदन प्राप्त हुआ है? अनुदान पर कितने ट्रैक्टर स्वीकृत किये गये? ट्रैक्टर अनुदान हेतु क्या कृषकों की अनुदान राशि एवं कृषकों की संख्या निर्धारित की गई है? यदि हां तो कितनी राशि एवं संख्या निर्धारित है? कृषि मंत्री जी ने बताया कि पंडरिया विधानसभा क्षेत्र से सम्बद्ध विकासखण्ड कवर्धा, पण्डरिया एवं सहसपुर लोहारा में 1 जनवरी, 2024 से जून, 2025 तक विभाग द्वारा संचालित कृषि यांत्रिकीकरण सबमिशन योजना के तहत प्राप्त 1416 आवेदनों के विरूद्ध 59 हितग्राहियों को अनुदान पर ट्रैक्टर स्वीकृत किये गये है। विभागीय योजनाओं में कृषकों को ट्रैक्टर प्रदाय करने हेतु वर्गवार अनुदान एवं लक्ष्य का निर्धारण किया गया है।
भावना बोहरा शासकीय योजनाओं एवं महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रचार-प्रसार के संबंध में प्रश्न किया कि शासन के विभाग, उपक्रम, निगम, मंडल एवं अर्धशासकीय संस्थाओं के प्रचार-प्रसार संबंधी कार्य "छत्तीसगढ़ संवाद" के माध्यम से कराए जाने हेतु वित्त विभाग द्वारा क्या कोई आदेश जारी किया गया था? यदि हां तो जारी आदेश की जानकारी देवें। विगत 5 वर्षों में 'छत्तीसगढ़ संवाद' को पृथक कर कितने प्रकाशन, विज्ञापन, प्रचार सामग्री, पुस्तिका एवं पुस्तकों का मुद्रण, होर्डिंग्स और LED स्क्रीन आदि जारी किए गए हैं? जनसंपर्क विभाग को पृथक कर जो विज्ञापन या प्रचार सामग्री जारी हुई है, इनका भुगतान किस मद से किस प्रक्रिया के तहत किया जा रहा है? अब तक नियम विरुद्ध जारी प्रचार-सामग्री का कितना भुगतान किया जा चुका है और कितना किया जाना शेष है? जिसके लिखित उत्तर में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय जी ने बताया कि शासन के विभाग, उपक्रम, निगम, मंडल एवं अर्धशासकीय संस्थाओं के प्रचार-प्रसार संबंधी कार्य "छत्तीसगढ़ संवाद" के माध्यम से कराए जाने हेतु वित्त विभाग आदेश जारी किया गया था।
इसी संबंध में एक अन्य प्रश्न करते हुए भावना बोहरा ने पूछा कि विगत 5 वर्षों में छत्तीसगढ़ संवाद और जनसंपर्क विभाग को पृथक कर कितने विभागों द्वारा स्वतः शासकीय कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है? उक्त कार्यक्रमों के आयोजन के लिए किस आधार पर एजेंसी का चुनाव किया गया और क्या उक्त हेतु किसी प्रकार की टेंडर/चयन प्रक्रिया का पालन किया गया? लोक निर्माण विभाग, महिला बाल विकास, खेल एवं युवा कल्याण और संस्कृति विभाग द्वारा इस प्रकार के कितने कार्यक्रम आयोजित हुए हैं? इन कार्यक्रमों का भुगतान किस मद के तहत किया जा रहा है और पिछले 5 वर्षों में कितना भुगतान किया जा चुका है? और संवाद अथवा छत्तीसगढ़ जनसंपर्क को पृथक कर इस प्रकार के आयोजनों और भुगतान के लिए शासन में क्या कोई प्रक्रिया विद्यमान है? जिसके लिखित प्रतिउत्तर में मुख्यमंत्री जी बताया कि उपरोक्त सभी प्रश्नों के सन्दर्भ में जानकारी एकत्रित की जा रही है।
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