NEWS:-कबीरधाम मे जल जीवन मिशन योजना फेल सालों से टोटी को निहारते लोग, आख़िर पानी कब आएगा पूछते तरसी ग्रामीणों की आंखे,सवाल क्या कागजों तक ही पानी सीमित,नल की टोटी के नीचे अब बैल भैंस बांधकर और छेना थोपकर ग्रामीणों ने छोड़ दी उम्मीद,जानलेवा बनी सड़के सालों से उखड़ी पड़ी, अब गर्मी में होगी पानी की किल्लतपीएचई विभाग नाकाम

NEWS:-कबीरधाम मे जल जीवन मिशन योजना फेल सालों से टोटी को निहारते लोग, आख़िर पानी कब आएगा पूछते तरसी ग्रामीणों की आंखे,सवाल क्या कागजों तक ही पानी सीमित

नल की टोटी के नीचे अब बैल भैंस बांधकर और छेना थोपकर ग्रामीणों ने छोड़ दी उम्मीद,जानलेवा बनी सड़के सालों से उखड़ी पड़ी, अब गर्मी में होगी पानी की किल्लत
पीएचई विभाग नाकाम
कवर्धा, आपको बता दे कि जल जीवन मिशन का प्रचार प्रसार तो आप लोग साल भर से सुनते हुए आ रहे है लेकिन जल सिर्फ कागजों तक ही सीमित है ग्रामीण साल भर से ऊपर टोटी की निहार रहे है ,आखिरकार थक हारकर अब उम्मीद छोड़ दिये,बल्की बदले में कई जगह अच्छी खासी सड़क गढ्ढे में तब्दील हो चुकी है ,जो जानलेवा साबित हो रही है।जिले में आज भी अनेक ऐसे गांव व कस्बे है. जहाँ पर लोगों को पीने के लिए शुद्ध पेयजल उपलब्ध नहीं हो पा रहा है. पंडरिया और बोडला विकासखण्ड के वनांचल इलाको में रहने वाले विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा आदीवासी परिवार आज भी कुआ और झिरिया का पानी पीने के लिए उपयोग करते है, क्योंकि दूरस्थ क्षेत्रों में सरकार की योजनाएं अधिकारियों के लापरवाही के कारण नहीं पहुंच पाती हैं. यदि किसी तरह योजनाएं पहुँच भी जाए तो योजना के लिए मिलने वाली शासकीय राशि का बंदरबाट ओहदा के अनुरूप नीचे से ऊपर तक के अधिकारी कर्मचारी हजम कर जाते है. जिसका नतीजा यह होता है कि विभिन्न योजना से संबंधित कार्य आधे अधूरे में बंद हो जाते है. ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत लोगों के लिए सबसे बड़ी परेशानी पानी की होती है. बरसात के मौसम में किसी तरह तो पानी मिल जाता है लेकिन गर्मी के मौसम में आस-पास के  कुआ, नदी , तालाब ,  छोटे नाले सूख जाने के कारण लोगों को लम्बी दूरी तय कर पानी की व्यवस्था अपने परिवार के लिए करनी होती है ।सिस्टम ही मानो कमज़ोर हो गया है लोग अब उम्मीद छोड दिए है, इसलिए उस टोटी का उपयोग बैल भैंस के लिए कर रहे है।


कबीरधाम  जिले में पिछले लगभग तीन  सालो से जल जीवन मिशन योजना के तहत घर-घर शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के उद्देश्य से कार्य किए जा रहे है, लेकिन इस योजना में भी आपसी मिलीभगत कर घटिया तरीके से निर्माण कार्य कराए जाने की शिकायते आम हो गई है । इस योजना के तहत गांव-गांव में टंकी का निर्माण कराया जा रहा है,  इसके बाद उन टंकी से पानी के लिए पाइप लाईन का विस्तार करते हुए लोगों के घरों तक पानी की सप्लाई की व्यवस्था की जानी है, ताकि लोगों को आसानी से घर बैठे पानी उपलब्ध हो सके ।


निर्माण के बाद भी पानी नहीं

कबीरधाम जिला  अंतर्गत अनेक ग्राम पंचायतों में जल जीवन मिशन योजना के तहत टंकी निर्माण करा लिया गया है. साथ ही गांव में निवासरत लोगों के घर में पानी के लिए टोटी भी लगा दी गई है, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण निर्माण कार्य पूरा होने के बाद भी पानी सप्लाई शुरू नहीं हो सकी है । जिसके कारण केंद्र  सरकार के इस महती योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल पा रहा है। कुछ गांवों में  सोलर पंप लगाया जा चुका है, लेकिन विभागीय की उदासीनता के कारण  अधिकांश बंद पडे है । इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जल जीवन मिशन की योजनाएं का लाभ कितनो को मिल पा रहा होगा ।


मॉनिटरिंग का अभाव

कबीरधाम जिले में जल जीवन मिशन योजना अंतर्गत चल रहे निर्माण कार्यों में विभागीय अधिकारियों के लापरवाही के कारण सही समय पर निरीक्षण नहीं किया जाता ।  जिसके कारण इस कार्य को कर रहे बिना अनुभव  के नए ठेकेदारों के द्वारा कार्य को सही ढंग से नहीं करने के कारण कई स्थानों पर परेशानी हो रही है. यदि तकनीकी अधिकारियों का मार्गदर्शन सही समय पर उन नव सिखिया  ठेकेदारों को मिल जाता तो शायद आज कई नलो के टोटियों में से पानी की बूंद निकलने लगती और वनवासियों सहित ग्रामीण इलाकों में निवासरत परिवारों को पानी के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ता ।

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